surah baqarah last 3 ayat in hindi सूरह बकरा की आखिरी तीन आयत

surah baqarah last 3 ayat in hindi सूरह बकरा की आखिरी तीन आयत

surah baqarah last 3 ayat in hindi

अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से
सूरह बकरा हिंदी उच्चारण
लिल्लाहि मा फ़िस्समावाति व मा फिल्अर्ज़ि व इन् तुब्दू मा फ़ी अन्फुसिकुम् औ तुख्फूहु युहासिब्कुम् बिहिल्लाहु , फ़ – यग्फिरू लिमंय्यशा – उ व युअज्जिबु मंय्यशा – उ , वल्लाहु अला कुल्लि शैइन् क़दीर (284)

आ – मनर्रसूलु बिमा उन्ज़ि – ल इलैहि मिर्रब्बिही वल्मुअ्मिनून , कुल्लुन् आम – न बिल्लाहि व मलाइ – कतिही व कुतुबिही व रूसुलिही , ला नुफ़र्रिकु बै – न अ – हदिम् मिर्रूसुलिही , व कालू समिअ़ना व अ – तअ्ना गुफ्रान – क रब्बना व इलैकल मसीर (285)

ला युकल्लिफुल्लाहु नफ्सन् इल्ला वुस्अहा , लहा मा क – सबत् व अलैहा मक्त – सबत , रब्बना ला तुआखिज्ना इन् – नसीना औ अख़्तअना , रब्बना व ला तहमिल् अलैना इस्रन् कमा हमल्तहू अलल्लजी – न मिन् कब्लिना , रब्बना व ला तुहम्मिलना मा ला ताक – त लना बिही वअ्फु अन्ना , वग्फिर लना , वरहम्ना , अन् – त मौलाना फ़न्सुरना अलल् कौमिल काफ़िरीन (286)



सूरह बकरा हिंदी अनुवाद अर्थ
जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़) सब कुछ खुदा ही का है और जो कुछ तुम्हारे दिलों में हे ख्वाह तुम उसको ज़ाहिर करो या उसे छिपाओ ख़ुदा तुमसे उसका हिसाब लेगा, फिर जिस को चाहे बख्श दे और जिस पर चाहे अज़ाब करे, और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है (284)

हमारे पैग़म्बर (मोहम्मद) जो कुछ उनपर उनके परवरदिगार की तरफ से नाज़िल किया गया है उस पर ईमान लाए और उनके (साथ) मोमिनीन भी (सबके) सब ख़ुदा और उसके फ़रिश्तों और उसकी किताबों और उसके रसूलों पर ईमान लाए (और कहते हैं कि) हम ख़ुदा के पैग़म्बरों में से किसी में तफ़रक़ा नहीं करते और कहने लगे ऐ हमारे परवरदिगार हमने (तेरा इरशाद) सुना (285)

और मान लिया परवरदिगार हमें तेरी ही मग़फ़िरत की (ख्वाहिश है) और तेरी ही तरफ़ लौट कर जाना है ख़ुदा किसी को उसकी ताक़त से ज्यादा तकलीफ़ नहीं देता उसने अच्छा काम किया तो अपने नफ़े के लिए और बुरा काम किया तो (उसका वबाल) उसी पर पडेग़ा ऐ हमारे परवरदिगार अगर हम भूल जाऐं या ग़लती करें तो हमारी गिरफ्त न कर ऐ हमारे परवरदिगार हम पर वैसा बोझ न डाल जैसा हमसे अगले लोगों पर बोझा डाला था, और ऐ हमारे परवरदिगार इतना बोझ जिसके उठाने की हमें ताक़त न हो हमसे न उठवा और हमारे कुसूरों से दरगुज़र कर और हमारे गुनाहों को बख्श दे और हम पर रहम फ़रमा तू ही हमारा मालिक है तू ही काफ़िरों के मुक़ाबले में हमारी मदद कर (286)


सूरह बकरा अरबी
لِّلَّهِ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۗ وَإِن تُبْدُوا۟ مَا فِىٓ أَنفُسِكُمْ أَوْ تُخْفُوهُ يُحَاسِبْكُم بِهِ ٱللَّهُ ۖ فَيَغْفِرُ لِمَن يَشَآءُ وَيُعَذِّبُ مَن يَشَآءُ ۗ وَٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌ
ءَامَنَ ٱلرَّسُولُ بِمَآ أُنزِلَ إِلَيْهِ مِن رَّبِّهِۦ وَٱلْمُؤْمِنُونَ ۚ كُلٌّ ءَامَنَ بِٱللَّهِ وَمَلَـٰٓئِكَتِهِۦ وَكُتُبِهِۦ وَرُسُلِهِۦ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍۢ مِّن رُّسُلِهِۦ ۚ وَقَالُوا۟ سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا ۖ غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ ٱلْمَصِيرُ
لَا يُكَلِّفُ ٱللَّهُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا ۚ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا ٱكْتَسَبَتْ ۗ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَآ إِن نَّسِينَآ أَوْ أَخْطَأْنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَآ إِصْرًۭا كَمَا حَمَلْتَهُۥ عَلَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهِۦ ۖ وَٱعْفُ عَنَّا وَٱغْفِرْ لَنَا وَٱرْحَمْنَآ ۚ أَنتَ مَوْلَىٰنَا فَٱنصُرْنَا عَلَى ٱلْقَوْمِ ٱلْكَـٰفِرِينَ



फजीलत:
हदीस में है कि “जिस घर में सूरह बक़रह: पढ़ी जाये उस से शैतान भाग जाता है।” ( सहिह मुस्लिम -780 )

हुजूरे अकरम नबीये करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! अल्लाह अज़्ज़वजल ने ज़मीन व आसमान को पैदा करने से दो हज़ार साल पहले एक किताब लिखी ! फिर उस में से ब-क़रह  की आखिरी दो आयतें नाज़िल फ़रमाई !

जिस घर में तीन रातें इन दो आयतों को पढा जाएगा ! शैतान उस घर के क़रीब न आएगा !

एक रिवायत के अल्फ़ाज़ कुछ यूं हैँ कि जिस घर में इन दो आयतों ( surah baqarah last 2 ayat ) को पढा जाएगा शैतान तीन दिन तक उस के क़रीब न आएगा ।

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया:-
"जो कोई भी शख्स सूरह बकरा की आखरी दो आयतों को रात में पढ़ता है वह उसके लिए काफी हैंं।"

नूर के पैकर, नबियों के सरवर, दो जहां के ताजवर, सुल्ताने बहरो बर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : “बेशक अल्लाह ने मुझे अपने अर्श के नीचे के ख़ज़ाने में से ऐसी दो आयतें ( surah baqarah last 2 ayat ) अता फ़रमाई  ! जिन के ज़रीए सू-रतुल ब-क़रह का इख्तिताम फ़रमाया, इन्हें सीखो ! और अपनी औरतों और बच्चों को सिखाओ ! क्यूं कि येह नमाज़ और कुरआन और दुआ हैं

सुल्ताने दो जहान, मदीने के सुल्तान, रहमते आ-लमियान, सरवरे ज़ीशान हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया : जो शख़्स (सूरए) ब-क़रह की आख़िरी दो आयतें ( surah baqarah last 2 ayat ) रात में पढेगा वोह उसे किफ़ायत करेंगी !

किफ़ायत से मुराद यह कि यह दो आयते ( surah baqarah last 2 ayat ) उस रात के क़ियाम के क़ाइम मक़ाम हो जाएगी ! या उस रात उसे शैतान से महफूज़ रखेगी ! या उस रात में नाज़िल होने वाली आफ़ात से बचाएंगी,या उसे फ़ज़ीलत व सवाब के लिए काफ़ी होंगी ! इंशा अल्लाह !

(आयत 284 से 286 तक अन्तिम आयतो में उन लोगों के ईमान लाने की चर्चा की गई है जो किसी भेद – भाव के बिना अल्लाह के रसूलो पर ईमान लाये। इस लिये अल्लाह ने उन पर सीधी राह खोल दी। और उन्होंने ऐसी दुआये की जो उन के ईमान को उजागर करती है।)


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