रोजा खोलने की दुआ/ इफ्तार की दुआ हिन्दी उच्चारण अर्थ - Roza Kholne Ki Dua/ iftar ki dua in hindi

रोजा खोलने की दुआ/ इफ्तार की दुआ हिन्दी उच्चारण अर्थ - Roza Kholne Ki Dua/ iftar ki dua in hindi

रोजा खोलने की दुआ/ इफ्तार की दुआ हिन्दी उच्चारण अर्थ - Roza Kholne Ki Dua/ iftar ki dua in hindi

  • Roza Kholne Ki Dua/iftar ki dua in Arabic
اَللّٰهُمَّ اِنَّی لَکَ صُمْتُ وَبِکَ اٰمَنْتُ وَعَلَيْکَ تَوَکَّلْتُ وَعَلٰی رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ
  • रोजा खोलने की दुआ / इफ्तार की दुआ - हिन्दी उच्चारण: 
अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु, व-बिका आमन्तु, व-अलयका तवक्कालतू, व- अला रिज़क़िका अफतरतू 
  • रोजा खोलने की दुआ / इफ्तार की दुआ - हिन्दी अर्थ:
हे, अल्लाह! मैंने तुम्हारे लिए उपवास किया और मुझे तुम पर विश्वास है और मैंने तुम पर अपना भरोसा रखा है।
  • Roza Kholne Ki Dua/iftar ki dua in English
“Allahumma inni laka sumtu wa bika aamantu wa alayka tawakkaltu wa ala rizq-ika-aftartu..”
  • Roza Kholne Ki Dua/iftar ki dua in English Meanning
O, Allah! I fasted for You and I believe in You and I put my trust in You.



फ़ज़ीलत:
  • हजरत अबू हुरैरा (रजि0) फरमाते है कि नबी करीम (सल0) ने फरमाया- अल्लाह तआला फरमाता है मेरे नजदीक महबूब बंदा वह है जो इफ्तार में जल्दी करे।
  • हजरत सहल बिन साद फरमाते हैं कि नबी करीम (सल0) ने फरमाया- जब तक लोग जल्दी इफ्तार करते रहेंगे भलाई में रहेंगे। (तिरमिजी)
  • हजरत जैद बिन खालिद (रजि0) फरमाते हैं कि नबी करीम (सल0) ने इरशाद फरमाया- जिस ने किसी रोजेदार का इफ्तार कराया उसके लिए उसी के मिस्ल सवाब है। इसके बगैर कि रोजेदार के सवाब में कुछ कमी हो। (तिरमिजी)
  • “नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया जिस आदमी ने किसी रोज़ेदार को इफ्तार करवाया तो उस आदमी को भी उतना ही सवाब मिलेगा जितना सवाब रोज़ेदार के लिए होगा, और रोज़ेदार के सवाब में से कुछ भी कमी नही की जाएगी” (तिरमिज़ी 807)
  • “नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया लोग उस वक़्त तक खैर पर रहेंगे जब तक इफ्तार में जल्दी करते रहेंगे”
  • नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया मेरी उम्मत के लोगों में उस वक़्त  तक भलाई बाक़ी रहेगी जब तक वो इफ़तार में जल्दी करते रहेंगे” (सहीह बुखारी 1957)
  • “अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहु कहते हें रसू लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम नमाज़े मग़रिब पढ़ने से पहले चंद ताज़ा खजूरों से रोज़ा इफ्तार करते थे, और अगर ताज़ा खजूरें नहीं मिलती तो आप खुश्क (सूखी) खजूरों से इफ्तार कर लेते और अगर खुश्क (सूखी) खजूरें भी नहीं मिलती तो आप चंद घूंट पानी पीलेते” (अबू दावूद 2356)
  • नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया रोज़ेदार की दुआ इफ्तार के वक़्त रद नहीं की जाती” (इबने माजह 1753)
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