सेहरी की नियत / रोजा रखने की दुआ - Roza Rakhne Ki Dua/ Sehri ki niyat in Hindi

सेहरी की नियत / रोजा रखने की दुआ - Roza Rakhne Ki Dua/ Sehri ki niyat in Hindi

सेहरी की नियत / रोजा रखने की दुआ - Roza Rakhne Ki Dua/ Sehri ki niyat in Hindi


Roza Rakhne Ki Dua/ Sehri ki niyat  In Arabic:

وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ 


सेहरी की नियत / रोजा रखने की दुआ - हिन्दी उच्चारण:

"व बि सोमि गदिन नवई तु मिन शहरि रमजान" 


Roza Rakhne Ki Dua/ Sehri ki niyat  In  English:

“Wa bisawmi ghadinn nawaitu min shahri Ramzan”. 


सेहरी की नियत / रोजा रखने की दुआ - हिन्दी:

Maine Mah-e-Ramzan Ke Roje Ki Niyat Ki Hai.


सेहरी की नियत / रोजा रखने की दुआ - हिन्दी अर्थ:

में रमजान के रोज की नीयत करता या करती हूं


फ़ज़ीलत:
  • हजरत अबू हुरैरा रदियल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है । कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया : कसम है । उस जात की जिसके कब्ज – ए – कुदरत में मेरी जान है । रोज़ादार के मुँह की बू अल्लाह के नजदीक मुश्क से ज्यादा बेहतर है । ( बुखारी शरीफ )
  • नबी करीम सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया । अगर अल्लाह तआला के बंदे रमजान की फजीलत जान लें । तो मेरी उम्मत तमाम साल रोज़ा से रहने की ख्वाहिशमंद होती । ( बहकी )
  • हजरत अबू हुरैरा रदियल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है !  कि आकाए कौनैन सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया ! यानी रोज़ा ढाल है । ( मुस्लिम स . 363 )
  • हजरत अबू सईद खुदरी रदियल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है । वह कहते हैं कि रसूलुल्लाह सल लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया ! जो शख्स भी एक दिन अल्लाह तआला की राह में रोजा रखेगा । अल्लाह तआला जहन्नम की आग को उसके चेहरे से सत्तर साल की मुसाफत तक दूर रखेगा । ( मुस्लिम रा . 361 )
  • हज़रात अबू हुरैरह से मर्वी है की नबी (saw) ने फ़रमाया जिसने रमजान में रोज़े रखे ईमान यकीन के साथ उसके पिछने तमाम गुनाह माफ़ हो जाते हैं,
  • अमीरुल मुअ्मिनीन ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर फ़ारूक़े आ’ज़म रजि से रिवायत है कि हुज़ूरे अकरम  फरमाते हैं, (तर्जमा) “रमज़ान में जि़क्रुल्लाह करने वाले को बख़्श दिया जाता है और इस रमजान के महीने में अल्लाह पाक से मांगने वाला कभी भी मह़रूम ( वंचित ) नहीं रहता।”
  • हजरत अबू हुरैरा रजि अल्लाहु तआला अन्हू से रिवायत है ! कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया यानी जब रमजान का महीना आता है ! तो जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं बुखारी शरीफ ज़-1 सफा 255 
  • हजरत अबू हुररा रदियल्लाहु तआला अन्हो से रिवायत है ! कि नबी करीम रऊफ व रहीम सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः जब माहे रमज़ान (Ramzan) आता है ! तो आसमान के दरवाजे खोल दिए जाते हैं ! जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं ! और शैतानों को कैद कर दिया जाता है ।( बुखारी : 255.1)
  • हजरत उमर बिन अब्दुल्लाह (रजि0) से रिवायत है कि नबी करीम (सल0) ने इरशाद फरमाया -‘‘कयामत के दिन रोजो और कुरआन बंदे की शफाअत करेंगे, रोजे अर्ज करेंगे कि ऐ अल्लाह मैंने इसको दिन में खाने और शहवत से रोका। इसलिए तू इसके लिए मेरी शफाअत कुबूल फरमा और कुरआन कहेगा कि मैंने इसे रात में सोने से रोका। लिहाजा इसके हक में मेरी शफाअत कुबूल फरमा ले पस दोनों की शफाअत कुबूल होगी। (मिश्कात शरीफ)
  • नबी करीम (सल.) ने फरमाया कि सहरी खाओ कि सहरी खाने में बरकत है।
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