Surah Al Baqarah in Hindi Ayat 261 to 286 सूरह अल बक़रा

Surah Al Baqarah in Hindi Ayat 261 to 286 सूरह अल बक़रा

Surah Al Baqara in Hindi Ayat 261 to 286
 


म – सलुल्लज़ी – न युन्फ़ि कू – न अम्वालहुम फी सबीलिल्लाहि क – म सलि हब्बतिन् अम्ब – तत् सब् – अ सनाबि – ल फ्री कुल्लि सुम्बुलतिम् मि – अतु हब्बतिन् , वल्लाहु युज़ाअिफु लिमंय्यशा – उ , वल्लाहु वासिअुन् अलीम (261)
जो लोग अपने माल खुदा की राह में खर्च करते हैं उनके (खर्च) की मिसाल उस दाने की सी मिसाल है जिसकी सात बालियॉ निकलें (और) हर बाली में सौ (सौ) दाने हों और ख़ुदा जिसके लिये चाहता है दूना कर देता है और खुदा बड़ी गुन्जाइश वाला (हर चीज़ से) वाक़िफ़ है (261)
अल्लज़ी – न युन्फ़िकू – न अम्वालहुम् फ़ी सबीलिल्लाहि सुम् – म ला युत्बिअू – न मा अन्फ़कू मन्नंव – व ला अ – ज़ल लहुम् अजरूहुम् अिन् – द रब्बिहिम् व ला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून (262)
जो लोग अपने माल ख़ुदा की राह में ख़र्च करते हैं और फिर ख़र्च करने के बाद किसी तरह का एहसान नहीं जताते हैं और न जिनपर एहसान किया है उनको सताते हैं उनका अज्र (व सवाब) उनके परवरदिगार के पास है और न आख़ेरत में उनपर कोई ख़ौफ़ होगा और न वह ग़मगीन होंगे (262)
कौलुम मअ्रूफुंव – व मग्फ़ि – रतुन् खैरूम् मिन् स – द – क़तिंय् – यत्बअुहा अज़न् , वल्लाहु ग़निय्युन् हलीम (263)
(सायल को) नरमी से जवाब दे देना और (उसके इसरार पर न झिड़कना बल्कि) उससे दरगुज़र करना उस खैरात से कहीं बेहतर है जिसके बाद (सायल को) ईज़ा पहुंचे और ख़ुदा हर शै से बेपरवा (और) बुर्दबार है (263)
या अय्युहल्लज़ी – न आमनू ला तुब्तिलू स – दक़ातिकुम् बिल्मन्नि वल् – अज़ा कल्लज़ी युन्फिकु मालहू रिआ – अन्नासि व ला युअ्मिनु बिल्लाहि वल् – यौमिल् – आखिरि , फ़ – म – सलुहू क – म – सलि सफ्वानिन् अलैहि तुराबुन् फ़ – असाबहू वाबिलुन् फ़ – त – र – कहू सल्दन् , ला यक्दिरू – न अला शैइम् मिम्मा क – सबू , वल्लाहु ला यह्दिल् – कौमल् काफ़िरीन (264)
ऐ ईमानदारों आपनी खैरात को एहसान जताने और (सायल को) ईज़ा (तकलीफ) देने की वजह से उस शख्स की तरह अकारत मत करो जो अपना माल महज़ लोगों को दिखाने के वास्ते ख़र्च करता है और ख़ुदा और रोजे आखेरत पर ईमान नहीं रखता तो उसकी खैरात की मिसाल उस चिकनी चट्टान की सी है जिसपर कुछ ख़ाक (पड़ी हुई) हो फिर उसपर ज़ोर शोर का (बड़े बड़े क़तरों से) मेंह बरसे और उसको (मिट्टी को बहाके) चिकना चुपड़ा छोड़ जाए (इसी तरह) रियाकार अपनी उस ख़ैरात या उसके सवाब में से जो उन्होंने की है किसी चीज़ पर क़ब्ज़ा न पाएंगे (न दुनिया में न आख़ेरत में) और ख़ुदा काफ़िरों को हिदायत करके मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता (264)
व म – सलुल्लज़ी – न युन्फिकू – न अम्वालहुमुब्तिगा – अ मर्जातिल्लाहि व तस्बीतम् मिन् अन्फुसिहिम् क – म सलि जन्नतिम् – बिरब्वतिन् असाबहा वाबिलुन् फ़-आतत् उकु – लहा ज़िअ्फैनि फ़ – इल्लम् युसिब्हा वाबिलुन् फ़ – तल्लुन , वल्लाहु बिमा तअ्मलू – न बसीर (265)
और जो लोग ख़ुदा की ख़ुशनूदी के लिए और अपने दिली एतक़ाद से अपने माल ख़र्च करते हैं उनकी मिसाल उस (हरे भरे) बाग़ की सी है जो किसी टीले या टीकरे पर लगा हो और उस पर ज़ोर शोर से पानी बरसा तो अपने दुगने फल लाया और अगर उस पर बड़े धड़ल्ले का पानी न भी बरसे तो उसके लिये हल्की फुआर (ही काफ़ी) है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उसकी देखभाल करता रहता है (265)
अ – यवद्दु अ – हदुकुम अन् तकू – न लहू जन्नतुम् – मिन्नखीलिव – व अअ् नाबिन् तज्री मिन् तह्तिहल् – अन्हारू लहू फ़ीहा मिन् कुल्लिस्स – मराति व असाबहुल कि – बरू व लहू जुर्रिय्यतुन् जु – अफा – उ फ़ – असाबहा इअ्सारून , फ़ीहि नारून् फहत – रकत , कज़ालि – क युबय्यिनुल्लाहु लकुमुल् – आयाति लअल्लकुम त – तफ़क्करून (266)
भला तुम में कोई भी इसको पसन्द करेगा कि उसके लिए खजूरों और अंगूरों का एक बाग़ हो उसके नीचे नहरें जारी हों और उसके लिए उसमें तरह तरह के मेवे हों और (अब) उसको बुढ़ापे ने घेर लिया है और उसके (छोटे छोटे) नातवॉ कमज़ोर बच्चे हैं कि एकबारगी उस बाग़ पर ऐसा बगोला आ पड़ा जिसमें आग (भरी) थी कि वह बाग़ जल भुन कर रह गया ख़ुदा अपने एहकाम को तुम लोगों से साफ़ साफ़ बयान करता है ताकि तुम ग़ौर करो (266)
या अय्युहल्लज़ी – न आमनू अन्फिकू मिन् तय्यिबाति मा कसब्तुम व मिम्मा अखरज्ना लकुम् मिनल – अर्जि व ला त – यम्म – मुल – खबी – स मिन्हु तुन्फ़िकू – न व लस्तुम बि – आख़िज़ीहि इल्ला अन् तुग्मिजू फ़ीहि , वअ्लमू अन्नल्ला – ह ग़निय्युन् हमीद (267)
ऐ ईमान वालों अपनी पाक कमाई और उन चीज़ों में से जो हमने तुम्हारे लिए ज़मीन से पैदा की हैं (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करो और बुरे माल को (ख़ुदा की राह में) देने का क़सद भी न करो हालॉकि अगर ऐसा माल कोई तुमको देना चाहे तो तुम अपनी ख़ुशी से उसके लेने वाले नहीं हो मगर ये कि उस (के लेने) में (अमदन) आंख चुराओ और जाने रहो कि ख़ुदा बेशक बेनियाज़ (और) सज़ावारे हम्द है (267)
अश्शैतानु यअि़दुकुमुल् फ़क् – र व यअ्मुरूकुम बिल्फ़ह्शा – इ वल्लाहु यअिदुकुम् मग्फ़ि – रतम् मिन्हु व फ़ज लन् , वल्लाहु वासिअुन् अलीम (268)
शैतान तमुको तंगदस्ती से डराता है और बुरी बात (बुख्ल) का तुमको हुक्म करता है और ख़ुदा तुमसे अपनी बख्शिश और फ़ज़ल (व करम) का वायदा करता है और ख़ुदा बड़ी गुन्जाइश वाला और सब बातों का जानने वाला है (268)
युअ्तिल् – हिक्म – त मंय्यशा – उ व मंय्युअ्तल – हिक्म – त फ़ – क़द् ऊति – य खैरन् कसीरन् , व मा यज्जक्करू इल्ला उलुल – अल्बाब (269)
वह जिसको चाहता है हिकमत अता फ़रमाता है और जिसको (ख़ुदा की तरफ) से हिकमत अता की गई तो इसमें शक नहीं कि उसे ख़ूबियों से बड़ी दौलत हाथ लगी और अक्लमन्दों के सिवा कोई नसीहत मानता ही नहीं (269)
व मा अन्फ़क्तुम् मिन् न – फ़ – क़तिन् औ नज़र्तुम् मिन् – नजि रन् फ़ – इन्नल्ला – ह यअ्लमुहू , व मा लिज्जालिमी – न मिन् अन्सार (270)
और तुम जो कुछ भी ख़र्च करो या कोई मन्नत मानो ख़ुदा उसको ज़रूर जानता है और (ये भी याद रहे) कि ज़ालिमों का (जो) ख़ुदा का हक़ मार कर औरों की नज़्र करते हैं (क़यामत में) कोई मददगार न होगा (270)
इन् तुब्दुस्स – दक़ाति फ़ – निअिम्मा हि – य व इन् तुख्फूहा व तु अ्तू हल्फ – करा – अ फहुव खैरूल्लकुम व युकफ्फिरू अन्कुम् मिन् सय्यिआतिकुम , वल्लाहु बिमा तअ्मलूना ख़बीर (271)
अगर ख़ैरात को ज़ाहिर में दो तो यह (ज़ाहिर करके देना) भी अच्छा है और अगर उसको छिपाओ और हाजतमन्दों को दो तो ये छिपा कर देना तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है और ऐसे देने को ख़ुदा तुम्हारे गुनाहों का कफ्फ़ारा कर देगा और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है (271)
लै – स अ लै – क हुदाहुम् व लाकिन्नल्ला – ह यह्दी मंय्यशा – उ व मा तुन्फ़ि कू मिन् खैरिन् फ़ – लिअन्फुसिकुम , व मा तुन्फिकू – न इल्लब्-तिग़ा-अ वज्हिल्लाहि , व मा तुन्फ़िकू मिन् खैरिंय्युवफ् – फ़ इलैकुम् व अन्तुम् ला तुज्लमून (272)
ऐ रसूल उनका मंज़िले मक़सूद तक पहुंचाना तुम्हारा काम नहीं (तुम्हारा काम सिर्फ रास्ता दिखाना है) मगर हॉ ख़ुदा जिसको चाहे मंज़िले मक़सूद तक पहुंचा दे और (लोगों) तुम जो कुछ नेक काम में ख़र्च करोगे तो अपने लिए और तुम ख़ुदा की ख़ुशनूदी के सिवा और काम में ख़र्च करते ही नहीं हो (और जो कुछ तुम नेक काम में ख़र्च करोगे) (क़यामत में) तुमको भरपूर वापस मिलेगा और तुम्हारा हक़ न मारा जाएगा (272)
लिल्फु – क़रा – इल्लज़ी – न उहिसरू फ़ी सबीलिल्लाहि ला यस्ततीअू – न ज़रबन् फ़िल्अर्ज़ि यहसबुहुमुल् – जाहिलु अग्निया – अ मिनत्त – अफ्फुफ़ि तअ्रिफुहुम बिसीमाहुम् ला यस्अलूनन्ना – स इलहाफ़न् , व मा तुन्फिकू मिन् खैरिन् फ – इन्नल्ला – ह बिही अलीम (273)
(यह खैरात) ख़ास उन हाजतमन्दों के लिए है जो ख़ुदा की राह में घिर गये हो (और) रूए ज़मीन पर (जाना चाहें तो) चल नहीं सकते नावाक़िफ़ उनको सवाल न करने की वजह से अमीर समझते हैं (लेकिन) तू (ऐ मुख़ातिब अगर उनको देखे) तो उनकी सूरत से ताड़ जाये (कि ये मोहताज हैं अगरचे) लोगों से चिमट के सवाल नहीं करते और जो कुछ भी तुम नेक काम में ख़र्च करते हो ख़ुदा उसको ज़रूर जानता है (273)
अल्लज़ी – न युन्फिकू – न अम्वालहुम् बिल्लैलि वन्नहारि सिररंव – व अलानि – यतन् फ़ – लहुम् अज्रूहुम् अिन् – द रब्बिहिम् व ला खौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून (274)
जो लोग रात को या दिन को छिपा कर या दिखा कर (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करते हैं तो उनके लिए उनका अज्र व सवाब उनके परवरदिगार के पास है और (क़यामत में) न उन पर किसी क़िस्म का ख़ौफ़ होगा और न वह आज़ुर्दा ख़ातिर होंगे (274)
अल्लज़ी – न यअ्कुलूनर्रिबा ला यकूमू – न इल्ला कमा यकूमुल्लज़ी य – तख़ब्बतुहुश् – शैतानु मिनल्मस्सि , ज़ालि – क बि – अन्नहुम् कालू इन्नमल् – बैअु़ मिस्लुर्रिबा व अहल्लल्लाहुल्बै – अ व हर्रमारिबा फ़ – मन् जा – अहू मौअि – ज़तुम् मिर्रब्बिही फन्तहा फ़ – लहू मा स – ल – फ़ , व अम्रुहू इलल्लाहि , व मन् आ – द फ़ – उलाइ – क अस्हाबुन्नारि हुम् फ़ीहा ख़ालिदून (275)
जो लोग सूद खाते हैं वह (क़यामत में) खड़े न हो सकेंगे मगर उस शख्स की तरह खड़े होंगे जिस को शैतान ने लिपट कर मख़बूतुल हवास (पागल) बना दिया है ये इस वजह से कि वह उसके क़ायल हो गए कि जैसा बिक्री का मामला वैसा ही सूद का मामला हालॉकि बिक्री को तो खुदा ने हलाल और सूद को हराम कर दिया बस जिस शख्स के पास उसके परवरदिगार की तरफ़ से नसीहत (मुमानियत) आये और वह बाज़ आ गया तो इस हुक्म के नाज़िल होने से पहले जो सूद ले चुका वह तो उस का हो चुका और उसका अम्र (मामला) ख़ुदा के हवाले है और जो मनाही के बाद फिर सूद ले (या बिक्री के माले को यकसा बताए जाए) तो ऐसे ही लोग जहन्नुम में रहेंगे (275)
यम्हकुल्लाहुर्रिबा व युर्बिस्सदक़ाति , वल्लाहु ला युहिब्बु कुल ल कफ्फारिन् असीम (276)
खुदा सूद को मिटाता है और ख़ैरात को बढ़ाता है और जितने नाशुक्रे गुनाहगार हैं खुदा उन्हें दोस्त नहीं रखता (276)
इन्नल्लज़ी – न आमनू व अमिलुस्सालिहाति व अकामुस्सला – त व आतवुज्ज़का – त लहुम् अजरूहुम् अिन् – द रब्बिहिम् व ला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून (277)
(हॉ) जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ी और ज़कात दिया किये उनके लिए अलबत्ता उनका अज्र व (सवाब) उनके परवरदिगार के पास है और (क़यामत में) न तो उन पर किसी क़िस्म का ख़ौफ़ होगा और न वह रन्जीदा दिल होंगे (277)
या अय्युहल्लज़ी – न आमनुत्तकुल्ला – ह व ज़रू मा बकि – य मिनर्रिबा इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन (278)
ऐ ईमानदारों ख़ुदा से डरो और जो सूद लोगों के ज़िम्मे बाक़ी रह गया है अगर तुम सच्चे मोमिन हो तो छोड़ दो (278)
फ़ इल्लम् तफ्अलू फ़अ् – जनू बि – हर्बिम् मिनल्लाहि व रसूलिही व इन् तुब्तुम् फ़ – लकुम् रूऊसु अम्वालिकुम् ला तज्लिमू – न व ला तुज्लमून (279)
और अगर तुमने ऐसा न किया तो ख़ुदा और उसके रसूल से लड़ने के लिये तैयार रहो और अगर तुमने तौबा की है तो तुम्हारे लिए तुम्हारा असल माल है न तुम किसी का ज़बरदस्ती नुकसान करो न तुम पर ज़बरदस्ती की जाएगी (279)
व इन् का – न जू अुस्रतिन् फ़ – नज़ि – रतुन् इला मैस – रतिन् , व अन् तसद्दकू खैरूलकुम् इन् कुन्तुम् तअलमून (280) और अगर कोई तंगदस्त तुम्हारा (क़र्ज़दार हो) तो उसे ख़ुशहाली तक मोहल्लत (दो) और सदक़ा करो और अगर तुम समझो तो तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है कि असल भी बख्श दो (280)
वत्तकू यौमन् तुर्जअू – न फीहि इलल्लाहि , सुम् – म तुवफ्फा कुल्लु नफ्सिम् मा क – सबत् व हुम् ला युज्लमून (281)
और उस दिन से डरो जिस दिन तुम सब के सब ख़ुदा की तरफ़ लौटाये जाओगे फिर जो कुछ जिस शख्स ने किया है उसका पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उनकी ज़रा भी हक़ तलफ़ी न होगी (281) या अय्युहल्लज़ी – न आमनू इज़ा तदायन्तुम् बिदैनिन् इला अ – जलिम् मुसम्मन् फ़क्तुबूहु , वल्यक्तुब् बैनकुम् कातिबुम् बिल्अदलि व ला यअ् – ब कातिबुन् अंय्यक्तु – ब कमा अल्ल – महुल्लाहु फल्यक्तुब् वल्युमलि लिल्लज़ी अलैहिल – हक्कु वल्यत्तकिल्ला – ह रब्बहू व ला यब्खस् मिन्हु शैअन् , फ़ – इन् कानल्लज़ी अलैहिल्हक्कु सफ़ीहन् औ ज़अीफ़न् औ ला यस्ततीअु अंय्युमिल – ल हु – व फ़ल्युमलिल वलिय्युहू बिल्अदलि , वस्तश्हिदू शहीदैनि मिर्रिजालिकुम् फ-इल्लम् यकू ना रजु लै नि फ़ – रजुलुंव्वम्र अतानि मिम्मन् तरजौ – न मिनश्शु – हदा – इ अन् तज़िल – ल इह्दाहुमा फतुज़क्कि – र इह्दाहुमल – उख्रा , व ला यअ्बश् – शु – हदा – उ इज़ा मा दुअू , व ला तस्अमू अन् तक्तुबूहु सगीरन् औ कबीरन् इला अ – जलिही , ज़ालिकुम् अक्सतु अिन्दल्लाहि व अक्वमु लिश्शहा – दति व अद्ना अल्ला तर्ताबू इल्ला अन् तकू – न तिजारतन् हाज़ि – रतन तुदीरूनहा बैनकुम् फलै – स अलैकुम् जुनाहुन् अल्ला तक्तुबूहा , व अश्हिदू इज़ा तबायअ्तुम् व ला युज़ार् – र कातिबुंव – व ला शहीदुन् , व इन् तफ्अलू फ़ – इन्नहू फुसूकुम् बिकुम , वत्तकुल्ला – ह , व युअल्लिमुकुमुल्लाहु , वल्लाहु बिकुल्लि शैइन् अलीम (282)
ऐ ईमानदारों जब एक मियादे मुक़र्ररा तक के लिए आपस में क़र्ज क़ा लेन देन करो तो उसे लिखा पढ़ी कर लिया करो और लिखने वाले को चाहिये कि तुम्हारे दरमियान तुम्हारे क़ौल व क़रार को, इन्साफ़ से ठीक ठीक लिखे और लिखने वाले को लिखने से इन्कार न करना चाहिये (बल्कि) जिस तरह ख़ुदा ने उसे (लिखना पढ़ना) सिखाया है उसी तरह उसको भी वे उज़्र (बहाना) लिख देना चाहिये और जिसके ज़िम्मे क़र्ज़ आयद होता है उसी को चाहिए कि (तमस्सुक) की इबारत बताता जाये और ख़ुदा से डरे जो उसका सच्चा पालने वाला है डरता रहे और (बताने में) और क़र्ज़ देने वाले के हुक़ूक़ में कुछ कमी न करे अगर क़र्ज़ लेने वाला कम अक्ल या माज़ूर या ख़ुद (तमस्सुक) का मतलब लिखवा न सकता हो तो उसका सरपरस्त ठीक ठीक इन्साफ़ से लिखवा दे और अपने लोगों में से जिन लोगों को तुम गवाही लेने के लिये पसन्द करो (कम से कम) दो मर्दों की गवाही कर लिया करो फिर अगर दो मर्द न हो तो (कम से कम) एक मर्द और दो औरतें (क्योंकि) उन दोनों में से अगर एक भूल जाएगी तो एक दूसरी को याद दिला देगी, और जब गवाह हुक्काम के सामने (गवाही के लिए) बुलाया जाएं तो हाज़िर होने से इन्कार न करे और क़र्ज़ का मामला ख्वाह छोटा हो या उसकी मियाद मुअय्युन तक की (दस्तावेज़) लिखवाने में काहिली न करो, ख़ुदा के नज़दीक ये लिखा पढ़ी बहुत ही मुन्सिफ़ाना कारवाई है और गवाही के लिए भी बहुत मज़बूती है और बहुत क़रीन (क़यास) है कि तुम आईन्दा किसी तरह के शक व शुबहा में न पड़ो मगर जब नक़द सौदा हो जो तुम लोग आपस में उलट फेर किया करते हो तो उसकी (दस्तावेज) के न लिखने में तुम पर कुछ इल्ज़ाम नहीं है (हॉ) और जब उसी तरह की ख़रीद (फ़रोख्त) हो तो गवाह कर लिया करो और क़ातिब (दस्तावेज़) और गवाह को ज़रर न पहुँचाया जाए और अगर तुम ऐसा कर बैठे तो ये ज़रूर तुम्हारी शरारत है और ख़ुदा से डरो ख़ुदा तुमको मामले की सफ़ाई सिखाता है और वह हर चीज़ को ख़ूब जानता है (282)
व इन् कुन्तुम् अला स – फरिंव्वलम् तजिदू कातिबन् फ़रिहानुम् मकबू – जतुन , फ़ – इन अमि – न बअ्जुकुम बअ् जन् फ़ल्युअद्दिल्लज़िअ्तुमि – न अमान – तहू वल्यत्तकिल्ला – ह रब्बहू , व ला तक्तुमुश्शहाद – त , व मंय्यक्तुम्हा फ़ – इन्नहू आसिमुन् कल्बुहू , वल्लाहु बिमा तअ्मलू – न अलीम (283)
और अगर तुम सफ़र में हो और कोई लिखने वाला न मिले (और क़र्ज़ देना हो) तो रहन या कब्ज़ा रख लो और अगर तुममें एक का एक को एतबार हो तो (यूं ही क़र्ज़ दे सकता है मगर) फिर जिस शख्स पर एतबार किया गया है (क़र्ज़ लेने वाला) उसको चाहिये क़र्ज़ देने वाले की अमानत (क़र्ज़) पूरी पूरी अदा कर दे और अपने पालने वाले ख़ुदा से डरे (मुसलमानो) तुम गवाही को न छिपाओ और जो छिपाएगा तो बेशक उसका दिल गुनाहगार है और तुम लोग जो कुछ करते हो ख़ुदा उसको ख़ूब जानता है (283)
लिल्लाहि मा फ़िस्समावाति व मा फिल्अर्ज़ि व इन् तुब्दू मा फ़ी अन्फुसिकुम् औ तुख्फूहु युहासिब्कुम् बिहिल्लाहु , फ़ – यग्फिरू लिमंय्यशा – उ व युअज्जिबु मंय्यशा – उ , वल्लाहु अला कुल्लि शैइन् क़दीर (284)
जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़) सब कुछ खुदा ही का है और जो कुछ तुम्हारे दिलों में हे ख्वाह तुम उसको ज़ाहिर करो या उसे छिपाओ ख़ुदा तुमसे उसका हिसाब लेगा, फिर जिस को चाहे बख्श दे और जिस पर चाहे अज़ाब करे, और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है (284)
आ – मनर्रसूलु बिमा उन्ज़ि – ल इलैहि मिर्रब्बिही वल्मुअ्मिनून , कुल्लुन् आम – न बिल्लाहि व मलाइ – कतिही व कुतुबिही व रूसुलिही , ला नुफ़र्रिकु बै – न अ – हदिम् मिर्रूसुलिही , व कालू समिअ़ना व अ – तअ्ना गुफ्रान – क रब्बना व इलैकल मसीर (285)
हमारे पैग़म्बर (मोहम्मद) जो कुछ उनपर उनके परवरदिगार की तरफ से नाज़िल किया गया है उस पर ईमान लाए और उनके (साथ) मोमिनीन भी (सबके) सब ख़ुदा और उसके फ़रिश्तों और उसकी किताबों और उसके रसूलों पर ईमान लाए (और कहते हैं कि) हम ख़ुदा के पैग़म्बरों में से किसी में तफ़रक़ा नहीं करते और कहने लगे ऐ हमारे परवरदिगार हमने (तेरा इरशाद) सुना (285)
ला युकल्लिफुल्लाहु नफ्सन् इल्ला वुस्अहा , लहा मा क – सबत् व अलैहा मक्त – सबत , रब्बना ला तुआखिज्ना इन् – नसीना औ अख़्तअना , रब्बना व ला तहमिल् अलैना इस्रन् कमा हमल्तहू अलल्लजी – न मिन् कब्लिना , रब्बना व ला तुहम्मिलना मा ला ताक – त लना बिही वअ्फु अन्ना , वग्फिर लना , वरहम्ना , अन् – त मौलाना फ़न्सुरना अलल् कौमिल काफ़िरीन (286)
और मान लिया परवरदिगार हमें तेरी ही मग़फ़िरत की (ख्वाहिश है) और तेरी ही तरफ़ लौट कर जाना है ख़ुदा किसी को उसकी ताक़त से ज्यादा तकलीफ़ नहीं देता उसने अच्छा काम किया तो अपने नफ़े के लिए और बुरा काम किया तो (उसका वबाल) उसी पर पडेग़ा ऐ हमारे परवरदिगार अगर हम भूल जाऐं या ग़लती करें तो हमारी गिरफ्त न कर ऐ हमारे परवरदिगार हम पर वैसा बोझ न डाल जैसा हमसे अगले लोगों पर बोझा डाला था, और ऐ हमारे परवरदिगार इतना बोझ जिसके उठाने की हमें ताक़त न हो हमसे न उठवा और हमारे कुसूरों से दरगुज़र कर और हमारे गुनाहों को बख्श दे और हम पर रहम फ़रमा तू ही हमारा मालिक है तू ही काफ़िरों के मुक़ाबले में हमारी मदद कर (286)